https://youtu.be/HniBLBX_8_M
jyotish sab ke liye
This blog is for correct knowledge of jyotish and tantra.
Saturday, 9 May 2020
Tuesday, 2 October 2018
kaala jadu
कालाजादू
|
|
धर्म शास्त्रों में काले जादू को अभिचार के नाम से भी जाना जाता है अर्थात ऐसा तंत्र-मंत्र जिससे नकारात्मक शक्तियों को जागृत किया जाता है। काले जादू अर्थात नकारात्मक तंत्र-मंत्र का मुख्य उद्देश किसी व्यक्ति को उस स्थान से भगाना, उसे परेशान करना या उसे अपने वश में करके उसका इस्तेमाल करना या उसे बर्बाद करना होता है।
नकारात्मक तंत्र-मंत्र को वो लोग अपनाते हैं जोकि दूसरों की सफलता से ईर्ष्या करते हैं। इस तरह के व्यक्तियों के अंदर नकारात्मकता, ईर्ष्या, लालच, निराशा, कुंठा इस तरह से घर कर जाती है कि वे दूसरों की सफलता, उन्नति, समृद्धि को स्वीकार नहीं कर पाते हैं तथा वे उस व्यक्ति से प्रतिशोध लेने के लिए काले जादू के द्वारा उसके लिए परेशानियां पैदा कर आनंद का अनुभव करते हैं। काले जादू का प्रयोग दूसरे व्यक्ति को हानि पहुंचाने या चोट पहुंचाने के लिए कुछ विशेष तरह की क्रियाओं के द्वारा सम्पन्न किया जाता है। इस प्रथा का प्रभाव हजारों मील दूर बैठे व्यक्ति पर भी देखा जा सकता है। काले जादू अर्थात नकारात्मक तंत्र-मंत्र से ग्रसित व्यक्ति के कुछ साधारण लक्षण हैं जैसे मानसिक अवरोध, श्वांसों में भारीपन तथा तेज चलना, गले में खिंचाव, जांघ पर नीले रंग के निशान बिना किसी चोट के, घर में बिना किसी विशेष कारण के कलह या लड़ाई-झगड़ा, घर के किसी सदस्य की अप्राकृतिक मृत्यु, व्यवसाय में अचानक हानि का होना आदि। कुछ और लक्षण भी हैं जैसे कि हृदय में भारीपन महसूस होना, निद्रा पर्याप्त न आना, किसी की मौजूदगी का भ्रम होना, कलह आदि साधारणतया देखने में आते हैं। व्यक्ति अशांत सा रहता है तथा उसको किसी भी तरह से शांति नहीं मिलती। निराशा, कुंठा तथा उत्साह की कमी भी इसी का परिणाम है। यदि काले जादू का समय रहते उपाय न किया जाए तो यह अत्यंत विनाशकारी, भयानक तथा घातक हो सकता है जिसके परिणामस्वरूप जातक की जिंदगी तबाह तथा बर्बाद हो सकती है या फिर उसे कोई भयानक बीमारी अपने अधिन कर सकती है। काले जादू के ज्योतिषीय योग: कुंडली में ग्रहों के विशेष संयोग से व्यक्ति काले जादू के प्रभाव में आता हैं। यदि कुंडली में सूर्य, चंद्र, शनि, मंगल ग्रह विशेष भावों में राहु-केतु से पीड़ित होते हैं तभी नकारात्मक तंत्र-मंत्र व्यक्ति पर असर डालते हैं। जिस व्यक्ति का लग्न व सूर्य कमजोर होते हैं उन पर काला जादू अधिक प्रभाव डालता है। यदि कुंडली में ग्रहण योग है या राहु बहुत अनिष्टकारी स्थिति में है या शनि की टेढ़ी दृष्टि है या मंगल-शनि का संयोग है या चंद्र-शनि का संयोग हो तो भी जातक ऋणात्मक शक्तियों के प्रभाव में आता है। बाधकेश की कुंडली में स्थिति भी महत्वपूर्ण है। यदि इस समय छठे भाव व षटेश से संबंधित दशा चल रही हो व दशमेश लग्न, सप्तम, द्वादष भाव में स्थित हो व मंगल का संबंध लग्न से हो साथ ही केतु की स्थिति चतुर्थ, प्रथम व दशम भाव में हो। यदि बुध गुलिका से संबंधित हों तथा मंगल बाधक स्थान में हो व दोनों का दृष्टि संबंध बने तो भी व्यक्ति काले जादू के प्रभाव में आता है। ऐसे संयोग होने पर काले जादू के प्रभाव में आता है। कुंडली में अगर लग्न में चंद्र के साथ राहु हो और पांचवे और नौवें भाव में क्रूर ग्रह स्थित हों। इस योग में व्यक्ति अभिचार कर्म से पीड़ित होता है। यदि गोचर में भी यही स्थिति हो तो अवश्य ऊपरी बाधाएं तंग करती हैं। यदि कुंडली में शनि, राहु, केतु या मंगल में से कोई भी ग्रह सप्तम भाव में हो तो ऐसे लोग भी ऊपरी बाधा से परेशान रहते हैं। यदि कुंडली में शनि-मंगल-राहु की युति हो तो उसे भी प्रेत बाधा तंग करती है। उक्त योगों में दशा-अर्न्तदशा में भी ये ग्रह आते हों और गोचर में भी इन योगों की उपस्थिति हो तो समझ लें कि जातक या जातिका इस कष्ट से अवश्य परेशान हैं। राहु की महादशा में चंद्र की अंतर्दशा हो और चंद्र दशापति राहु से भाव 6, 8 या 12 में बलहीन हो, तो व्यक्ति अभिचार से ग्रसित होता है। वास्तुशास्त्र के अनुसार पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद, ज्येष्ठा, अनुराधा, स्वाति या भरणी नक्षत्र में शनि के स्थित होने पर शनिवार को गृह-निर्माण आरंभ नहीं करना चाहिए, अन्यथा वह घर राक्षसों, भूतों और पिशाचों से ग्रस्त हो जाएगा। |
Subscribe to:
Posts (Atom)
ganesh dev ki peeth
https://youtu.be/HniBLBX_8_M
-
कुंडली मे सौतन का योग चतुर्थ भाव स्त्री कुंडली मे सौतन विषयक संकेत भी दे...