KASTURI
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कस्तूरी एक प्रकार के हिरन के कांटा आदि लगने के बाद बनने वाली गांठ के रूप में होती है,उस हिरन का खून उस गांठ में जम जाता है,और उसके अन्दर ही सूखता रहता है,जिस प्रकार से किसी सडे हुये मांस की बदबू आती है उसी प्रकार से उस हिरन के खून की बदबू इस प्रकार की होती है कि वह मनुष्यजाति को खुशबू के रूप में प्रतीत होती है। जिस हिरन से कस्तूरी मिलती है वह समुद्र तल से आठ हजार फ़ुट की ऊंचाई पर मिलता है,मुख्यत: इस प्रकार के हिरन हिमालय दार्जिलिंग नेपाल असम चीन तथा सोवियत रूस मे अधिकतर पाया जाता है,कस्तूरी केवल पुरुष जाति के हिरन में ही बनती है जो कि खुशबू देती है,मादा हिरन की कस्तूरी कुछ समय तो खुशबू देती है लेकिन शरीर से अलग होने के बाद सडने लग जाती है। दूसरे कस्तूरी प्राप्त करने के लिये कभी भी हिरन को मारना नहीं पडता है,वह गांठ जब सूख जाती है,तो पेडों के साथ हिरन के खुजलाने और चट्टानों के साथ अपने शरीर को रगडने के दौरान अपने आप गिर जाती है। इस गिरी हुई गांठ पर वन्य जीव भी अपनी नजर रखते है,और जब उनसे बच पाती है तो ही मनुष्य को मिलती है।


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