Tuesday 23 October 2012

shree yantra



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SHREE YANTRA RAJ RAJESWARI TRIPUR SUNDARI KO PRASANN KARNE WALA YANTRA-श्री यंत्र की आकृति


तंत्र में त्रिकोण को अत्यंत महत्व दिया गया है. मुख्य रूप से दो प्रकार के त्रिकोणों का प्रयोग यंत्रों के निर्माण में किया जाता है. पहला अधोमुखी तथा

दूसरा उर्ध्वमुखी. एक पुरूष रूपी शिव का प्रतीक है तथा दूसरा स्त्री रूपी शक्ति का प्रतीक होता है. इन दोनों त्रिकोणों के विविध संयोजनों से यंत्रों का निर्माण होता है.








शिव प्रतीक शक्ति प्रतीक

श्री यंत्र भी इन दोनों प्रतीकों का एक विशिष्ट संयोजन है. श्री यंत्र में चार उर्ध्वमुखी शिव प्रतीक त्रिकोण तथा पांच अधोमुखी शक्ति प्रतीक त्रिकोण हैं. इस प्रकार यह यंत्र शक्ति बाहुल्यता से युक्त भगवती महाविद्या श्री त्रिपुरसुंदरी का सिद्ध यंत्र है.

इन नौ त्रिकोणों के संयोग से निर्मित इस यंत्र के मय में स्थित त्रिकोण के अंदर इस यंत्र का हृदय भाग होता है जिसमें बिंदु प्रतीक के रूप में महाविद्या श्री त्रिपुरसुंदरी ...................................................

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