Friday 22 March 2013

VIVAH SUKH KI KAMI ME GRAHO KI BHUMIKA

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ज्योतिषशास्त्र कहता है जिस स्त्री या पुरूष की कुण्डली में सप्तम भाव का स्वामी पांचवें में अथवा नवम भाव में होता है उनका वैवाहिक जीवन सुखद नहीं रहता है. इस तरह की स्थिति जिनकी कुण्डली में होती है उनमें आपस में मतभेद बना रहता है जिससे वे एक दूसरे से दूर जा सकते हैं. जीवनसाथी को वियोग सहना पड़ सकता है. हो सकता है कि जीवनसाथी को तलाक देकर दूसरी शादी भी करले. इसी प्रकार सप्तम भाव का स्वामी अगर शत्रु नक्षत्र के साथ हो तो वैवाहिक जीवन में बाधक होता है.
जिनकी कुण्डली में ग्रह स्थिति कमज़ोर हो और मंगल एवं शुक्र एक साथ बैठे हों उनके वैवाहिक जीवन में अशांति और परेशानी बनी रहती है. ग्रहों के इस योग के कारण पति पत्नी में अनबन रहती है. ज्योतिषशास्त्र के नियमानुसार कमज़ोर ग्रह स्थिति होने पर शुक्र की महादशा के दौरान पति पत्नी के बीच सामंजस्य का अभाव रहता है. केन्द्रभाव में मंगल, केतु अथवा उच्च का शुक्र बेमेल जोड़ी बनाता है. इस भाव में स्वराशि एवं उच्च के ग्रह होने पर भी मनोनुकल जीवनसाथी का मिलना कठिन होता है. शनि और राहु का सप्तम भाव होना भी वैवाहिक जीवन के लिए शुभ नहीं माना जाता है क्योंकि दोनों ही पाप ग्रह दूसरे विवाह की संभावना पैदा करते हैं.
सप्तमेश अगर अष्टम या षष्टम भाव में हो तो यह पति पत्नी के मध्य मतभेद पैदा करता है. इस योग में पति पत्नी के बीच इस प्रकार की स्थिति बन सकती है कि वे एक दूसरे से अलग भी हो सकते हैं. यह योग विवाहेत्तर सम्बन्ध भी कायम कर सकता है अत: जिनकी कुण्डली में इस तरह का योग है उन्हें एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए और समर्पण की भावना रखनी चाहिए। सप्तम भाव अथवा लग्न स्थान में एक से अधिक शुभ ग्रह हों या फिर इन भावों पर दो से अधिक शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो यह जीवनसाथी को पीड़ा देता है जिसके कारण वैवाहिक जीवन कष्टमय हो जाता है.
सप्तम भाव का स्वामी अगर कई ग्रहों के साथ किसी भाव में युति बनाता है अथवा इसके दूसरे और बारहवें भाव में अशुभ ग्रह हों और सप्तम भाव पर पाप ग्रहों की दृष्टि हो तो गृहस्थ जीवन सुखमय नहीं रहता है. चतुर्थ भाव में जिनके शुक्र होता है उनके वैवाहिक जीवन में भी सुख की कमी रहती है. कुण्डली में सप्तमेश अगर सप्तम भाव में या अस्त हो तो यह वैवाहिक जीवन के सुख में कमी लाता है.
दाम्पत्य जीवन को सुखी बनाने में बृहस्पति और शुक्र का सप्तम भाव और सप्तमेश से सम्बन्ध महत्वपूर्ण होता है (Jupiter & Venus relationship with seventh house).जिस पुरूष की कुण्डली में सप्तम भाव, सप्तमेश और विवाह कारक ग्रह शुक बृहस्पति से युत या दृष्ट होता है उसे सुन्दर गुणों वाली अच्छी जीवनसंगिनी मिलती है.इसी प्रकार जिस स्त्री की कुण्डली में सप्तम भाव, सप्तमेश और विवाह कारक ग्रह बृहस्पति शुक्र से युत या दृष्ट होता है उसे सुन्दर और अच्छे संस्कारों वाला पति मिलता है.

शुक्र भी बृहस्पति के समान सप्तम भाव में सफल वैवाहिक जीवन के लिए शुभ नहीं माना जाता है.सप्तम भाव का शुक्र व्यक्ति को अधिक कामुक बनाता है जिससे विवाहेत्तर सम्बन्ध की संभावना प्रबल रहती है.विवाहेत्तर सम्बन्ध के कारण वैवाहिक जीवन में क्लेश के कारण गृहस्थ जीवन का सुख नष्ट होता है.बृहस्पति और शुक्र जब सप्तम भाव को देखते हैं अथवा सप्तमेश पर दृष्टि डालते हैं (Jupiter & Venus aspect the seventh lord) तो इस स्थिति में वैवाहिक जीवन सफल और सुखद होता है.लग्न में बृहस्पति अगर पापकर्तरी योग (Papkartari Yoga) से पीड़ित होता है तो सप्तम भाव पर इसकी दृष्टि का शुभ प्रभाव नहीं होता है ऐसे में सप्तमेश कमज़ोर हो या शुक्र के साथ हो तो दाम्पत्य जीवन सुखद और सफल रहने की संभावना कम रहती है.

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LAGHU NARIYAL

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यह लघु नारियल समुद्र के किनारे पेड़ पर होता है। यह आकार में अति छोटा होता है। हजारों नारियलों से एकाध, नरियल ही लघु नरियल प्राप्त हो जाता है। यह अत्यंत दुलर्भ एवं प्रभावशाली होता है। इसे भगवान् की विशेष पूजा अथवा त्यौहार, पर्व पर पूजा में चंदन लगाकर मुद्रा के साथ अर्पित करते है। उसी प्रकार भगवान् को चंदन लगाकर लघु नरियल और सवा रूपया भेंट करके लाल कपड़े की थेली में नारियल रखेंकर गल्ले में अथवा खजाने में रखेंने से मनोकामना पूर्ण होती है। इच्छित फल प्राप्त प्राप्त होता है तथा भगवान् प्रसन्न होते है एवं भाक्ति प्राप्त होती है। यह धन, सम्पत्ति, वैभव प्रदान करता है। यह भगवान् जी की कृपा हेतु सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इसकी महिमा अपरंपार है ऋषि विश्वमित्र की सृष्टि संरचना का यह प्रथम पुण्य है। इसलिए इसका विशेष महत्व है।

तंत्र प्रयोगों में कई वस्तुओं का उपयोग किया जाता है जिनके माध्यम से टोटके और अधिक प्रभावशाली हो जाते हैं। ऐसी ही एक तांत्रिक वस्तु है लघु नारियल। लघु नारियल का प्रयोग अनेक टोटकों में किया जाता है विशेषकर धन-संपत्ति प्राप्ति के टोटको में। लघु नारियल को कुछ साधारण प्रयोग इस प्रकार हैं-

- धन, वैभव व समृद्धि पाने के लिए 5 लघु नारियल स्थापित कर उस पर केसर से तिलक करें और हर नारियल पर तिल......................................................

                     
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KASTURI

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कस्तूरी एक प्रकार के हिरन के कांटा आदि लगने के बाद बनने वाली गांठ के रूप में होती है,उस हिरन का खून उस गांठ में जम जाता है,और उसके अन्दर ही सूखता रहता है,जिस प्रकार से किसी सडे हुये मांस की बदबू आती है उसी प्रकार से उस हिरन के खून की बदबू इस प्रकार की होती है कि वह मनुष्यजाति को खुशबू के रूप में प्रतीत होती है। जिस हिरन से कस्तूरी मिलती है वह समुद्र तल से आठ हजार फ़ुट की ऊंचाई पर मिलता है,मुख्यत: इस प्रकार के हिरन हिमालय दार्जिलिंग नेपाल असम चीन तथा सोवियत रूस मे अधिकतर पाया जाता है,कस्तूरी केवल पुरुष जाति के हिरन में ही बनती है जो कि खुशबू देती है,मादा हिरन की कस्तूरी कुछ समय तो खुशबू देती है लेकिन शरीर से अलग होने के बाद सडने लग जाती है। दूसरे कस्तूरी प्राप्त करने के लिये कभी भी हिरन को मारना नहीं पडता है,वह गांठ जब सूख जाती है,तो पेडों के साथ हिरन के खुजलाने और चट्टानों के साथ अपने शरीर को रगडने के दौरान अपने आप गिर जाती है। इस गिरी हुई गांठ पर वन्य जीव भी अपनी नजर रखते है,और जब उनसे बच पाती है तो ही मनुष्य को मिलती है।



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KALI HALDI

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हल्दी के बारे में हम सभी जानते हैं। इसका प्रयोग मसाले के रूप में होता है साथ ही पूजा-पाठ में भी इसका उपयोग किया जाता है। हल्दी की एक प्रजाति ऐसी भी है जिसका उपयोग तांत्रिक क्रियाओं के लिए किया जाता है, वह है काली हल्दी। काली हल्दी को धन व बुद्धि का कारक माना जाता है। काली हल्दी का सेवन तो नहीं किया जाता लेकिन इसे तंत्र के हिसाब से बहुत पूज्यनीय और उपयोगी माना गया है। यह अनेक तरह के बुरे प्रभाव को कम करती है

काली हल्दी के 7 से 9 दाने बनाएं। उन्हें धागे में पिरोकर धूप, गूगल और लोबान से शोधन करने के बाद पहन लें। जो भी व्यक्ति इस तरह की माला पहनता है वह ग्रहों के दुष्प्रभावों से व टोने- टोटके व नजर के प्रभाव से सुरक्षित रहता है।
- गुरु पुष्य योग में काली हल्दी को सिंदूर में रखकर धूप देने के बाद लाल कपड़े में लपेटकर एक सिक्के के साथ वहां रख दें जहां आप पैसे रखते हैं। इसके प्रभाव से धन की वृद्धि होने लगती है।




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GUNJA {GHUNGHCHI} , गुंजा


                                                             GUNJA {GHUNGHCHI}

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गुंजा या रत्ती (Coral Bead) लता जाति की एक वनस्पति है। शिम्बी के पक जाने पर लता शुष्क हो जाती है। गुंजा के फूल सेम की तरह होते हैं। शिम्बी का आकार बहुत छोटा होता है, परन्तु प्रत्येक में 4-5 गुंजा बीज निकलते हैं अर्थात सफेद में सफेद तथा रक्त में लाल बीज निकलते हैं। अशुद्ध फल का सेवन करने से विसूचिका की भांति ही उल्टी और दस्त हो जाते हैं। इसकी जड़े भ्रमवश मुलहठी के स्थान में भी प्रयुक्त होती है
गुंजा का प्रयोग अनेक तांत्रिक कार्यों में होता है. यह एक लता का बीज होता है. जो लाल रंग का होता है. सफ़ेद और काले रंग की गुंजा भी मिल सकती है. काली गुंजा बहुत दुर्लभ होती है और वशीकरण के कार्यों में रामबाण की तरह काम करती है.  गुंजा के बीजों के अलावा उसकी जड़ को बहुत उपयोगी मन गया है. गुंजा की महिमा  कुछ इस प्रकार है -
१. आप जिस व्यक्ति का वशीकरण करना चाहते हों उसका चिंतन ...................................................

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Saturday 16 March 2013

BHAIRAV

                  
                                                               श्री भैरव


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श्री भैरव के अनेक रूप हैं जिसमें प्रमुख रूप से बटुक भैरव, महाकाल भैरव तथा स्वर्णाकर्षण भैरव प्रमुख हैं। जिस भैरव की पूजा करें उसी रूप के नाम का उच्चारण होना चाहिए। सभी भैरवों में बटुक भैरव उपासना का अधिक प्रचलन है। तांत्रिक ग्रंथों में अष्ट भैरव ................................

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Monday 4 March 2013

hatha jodi हत्था जोड़ी




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हाथा जोड़ी


प्रकृति की रूप संरचना एवम् कला विकास को परखना हो तो हाथा जोड़ी के दर्शन करना चाहिए .ये पूरे विश्व मे पाई जाती है. ईरान मे चुबक उसान और फ़ारसी उर्दू मे बखूर-ए-मरियम और यूरोप मे सयक्ल्में पर्सिकम कहते है .
मैने स्वयम् हाथा जोड़ी देखी है . सद्गुरुदेव के आशीर्वाद से मेरे पास एक जोड़ा है .ये लंबाई ,चौड़ाई ,और मोटाई मे अलग-अलग होती है .यह जैसे –आदमी के दोनो हाथ एवम् कंधे आपस मे जुड़े हुए होते है और इनमे अंगुली जैसी संरचना बनी होती है.यह एक दुर्लभ वनस्पति है जो वनो मे और पहाड़ी स्थानो मे पाई जाती है.
इसमे माता चामुंडा का वास माना जाता है .और यह अलग-अलग चमत्कारिक शक्ति रखती है.जैसे-..................................................



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ganesh dev ki peeth

https://youtu.be/HniBLBX_8_M