Tuesday 26 January 2016

rashi rudraksh

                                                                                       रुद्राक्ष



रुद्राक्ष एक खास तरह के पेड़ का बीज है। ये पेड़ आमतौर पर पहाड़ी इलाकों में एक खास ऊंचाई पर, खासकर हिमालय और पश्चिमी घाट सहित कुछ और जगहों पर भी पाए जाते हैं। अफसोस की बात यह है लंबे समय से इन पेड़ों की लकड़ियों का इस्तेमाल भारतीय रेल की पटरी बनाने में होने की वजह से, आज देश में बहुत कम रुद्राक्ष के पेड़ बचे हैं। आज ज्यादातर रुद्राक्ष नेपाल, बर्मा, थाईलैंड या इंडोनेशिया से लाए जाते हैं।

रुद्राक्ष की खासियत यह है कि इसमें एक अनोखे तरह का स्पदंन होता है। जो आपके लिए आप की ऊर्जा का एक सुरक्षा कवच बना देता है, जिससे बाहरी ऊर्जाएं आपको परेशान नहीं कर पातीं। इसीलिए .........................

Vastu ke anusar paudha lagana



                                                                                  वास्तुशास्त्र के अनुसार पौधा लगाना




वास्तुशास्त्र के अनुसार छोटे-छोटे पौधों को घर की किस दिशा में लगाया जाए ताकि उन पौधों के गुणों को हम पा सकें, इसकी विवेचना यहां की जा रही है।
घर के चारों कोनों को ऊर्जावान बनाने के लिए गमलों में भारी प्लांट को लगाकर भी रखा जा सकता है। दक्षिण -पश्चिम कोने में अगर कोई भारी प्लांट है तो उस घर के मुखिया को व्यर्थ की चिंताओं से मुक्ति मिलती है।
पलाश, नागकेशकर, अरिष्ट, शमी आदि का पौधा घर के बगीचे में लगाना शुभ होता है। शमी का पौधा ऐसे स्थान पर लगाना चाहिए जो घर से निकलते समय दाहिनी ओर पड़ता हो।
कैक्टस ग्रुप के पौधे जिनमें नुकीले कांटे होते हैं उन्हें घर के अंदर लगाना .......................

saral upay

                                                              भगवान श्री कृष्ण ऐसे नही लगाते थे मोर पंख
                                                                                         
                                                                                  मोर पंख




– नवजात बालक के सिर की तरफ दिन-रात एक मोर का पंख चांदी के ताबीज में डाल कर रखने से बालक डरता नहीं है तथा कोई भी नजर दोष और अला-बला से बचा रहता है.
– बच्चा जिद्दी हो तो इसे छत के पंखे के पंखों पर लगा दे ताकि पंखा चलने पर मोर के पंखो की भी हवा बच्चे को लगे धीरे-धीरे हठ व जिद्द कम होती जायेगी.
– काल-सर्प के दोष को भी दूर करने की इस मोर के पंख में अद्भुत क्षमता है.काल-सर्प वाले व्यक्ति को अपने तकिये के खौल के अंदर ७ मोर के पंख सोमवार रात्री काल में डालें तथा प्रतिदिन..........................................
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SHANI DHAIYA SADHE SATI

                                                                                      शनिदेव ढैया – साढ़ेसाती




शास्त्रों में शनिदेव को शांत करने के लिए दान और पूजन का विधान बताया गया है। अगर किसी जातक की जन्मकुंडली में शनि नीच राशिगत, वक्री, अशुभ स्थान का स्वामी होकर अशुभ ग्रहों के प्रभाव में हो तो शनि अपनी महादशा, अंतर्दशा, साढ़ेसाती या ढैया अवधि, जन्म, शनि पर गोचर या शनि का गोचर होने पर अशुभ फल देता है। जब तक शनि देव की कृपा प्राप्त नहीं होती, संसार में उन्नति के पथ पर बढ़ना सम्भव नहीं है।
वर्त्तमान में मेष व सिंह राशि पर शनि की ढैया चल रही है तथा तुला, वृश्चिक और धनु राशि पर शनि की साढ़ेसाती विद्यमान है अथवा जिस किसी की कुंडली में शनि की महादशा व अंतर्दशा..............................................

ganesh dev ki peeth

https://youtu.be/HniBLBX_8_M