शनिदेव ढैया – साढ़ेसाती
शास्त्रों में शनिदेव को शांत करने के लिए दान और पूजन का विधान बताया गया है। अगर किसी जातक की जन्मकुंडली में शनि नीच राशिगत, वक्री, अशुभ स्थान का स्वामी होकर अशुभ ग्रहों के प्रभाव में हो तो शनि अपनी महादशा, अंतर्दशा, साढ़ेसाती या ढैया अवधि, जन्म, शनि पर गोचर या शनि का गोचर होने पर अशुभ फल देता है। जब तक शनि देव की कृपा प्राप्त नहीं होती, संसार में उन्नति के पथ पर बढ़ना सम्भव नहीं है।
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