Saturday 23 August 2014

naree aur vastu

                                                                        नारी और वास्तु 

वास्तु शास्त्र मे मकान मे नारी या गृहणी का अहम स्थान है ,बिना नारी के मकान की उपयोगिता नही ,और बगैर वास्तु के मकान शमशान या मरघट मे तब्दील हो जाता है ,इस लेख मे वास्तु और नारी के बीच संबंधो वा संतुलन से पैदा होने वाली उपयोगी उर्जा पर ज़ोर दिया गया है ,अगर घर की स्त्रियाँ वास्तु सम्मत तरीके से कार्य व्यवहार करे ,तो उनका जीवन स्वास्थ्य  पूर्ण वा ऊर्जामयी होगा ,ऐसी स्त्रियाँ जीवन मे काफ़ी तरक्की करती है ,और रोग मुक्त उल्लास पूर्ण जिंदगी व्यतीत करती है ,
गृहणी का जयदातर समय घर मे रसोई मे या घर के साफ-सफाई के कार्यो मे व्यतीत होता है ,जैसे किचन को ही ले लें ,वास्तु मे बताया गया है की खाना बनाते समय गृहणी का चेहरा किस दिशा मे होना चाहिए ,किचन का सिन्क वा चूल्हा कहाँ होना चाहिए ,किचन का दरवाजा किस दिशा मे होना चाहिए ,किचन के भारी सामानो को किस दिशा मे रखना चाहिए ,किचन मे कौन-कौन सी वस्तुओ को रखना चाहिए आदि ढेर सारी बाते स्त्रियों के स्वास्थ्य वा रिश्तों से जुड़ी है ,अगर स्त्रियाँ वास्तु सम्मत तरीके से कार्य करे , तो उनका जीवन काफ़ी सुख पूर्ण वायतीत होगा ,आइए,वास्तु सम्मत वा वास्तु विरुद्ध कार्य व्यवहार करने वाली स्त्रियों पर वास्तु के प्रभाव ,दुष्प्रभाव व स्वास्थ्य पर एक नज़र डालते है,
1 –आजकल हर उम्र की स्त्रियों का स्वस्थ 4-5 दसक पहले की स्त्रियों की तुलना मे ज़यादा खराब रहने लगा है ,रहन सहन, ख़ान पान ,व्यवहार आदि हर प्रकार की सावधानिया बरतने के बाद भी महिलाओ मे रोग बढ़ते ही जा रहे है ,कारण क्या है/अगर ........................................................................

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