Sunday 24 August 2014

Namardi , thandapan ka jyotishiya karan

                                  नामर्दी ,ठंडापन व कामाँगो के अन्य विकार का ज्योतिषीय कारण

1 –सूर्य व चंद्र एक-दूसरे से ठीक सातवे स्थान मे हो और उन की एक-दूसरे पर पारस्परिक दृष्टि पड़ती हो तो जातक या तो शारीरिक रूप से ही क्लीव [हिंजडा] होगा अथवा कम-क्रिया मे असमर्थ ,नपुंसक होगा.
2 –मंगल व शनि एक- दूसरे से सातवे हो तो जातक नपुंसक होगा.
3 –सूर्य सम राशि मे हो और उसके सातवें स्थान पर मंगल स्थित होकर वे दोनो एक  -दूसरे को सीधे देखते हो,तो भी जातक क्लीव होगा.
4 –चंद्र और लग्न विषम राशि मे हो और उन लोगो पर मंगल एक साथ दृष्टि डालता हो,तो ऐसा जातक नपुंसक होगा.
5 – बुध अकेला आठवें भाव   ............................................                                                                                                      
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Kundali me sautan ka yog

                                                             कुंडली मे सौतन का योग

चतुर्थ भाव स्त्री कुंडली मे सौतन विषयक संकेत भी देता है ,इस भाव पर अशुभ [क्रूर]ग्रहो विशेषकर सूर्य ,राहु या शनि का किसी भी प्रकार की स्थिति, राशि-स्थिति ,संगति या दृष्टि संबंधी दुष्प्रभाव उस स्त्री के जीवन मे सौतन की समस्या के संकेतक माने जा सकते हैं.
चतुर्थ भाव के समान ही बारहवां भाव भी जातक के सुखों का प्रतिनिधित्व करता है ,यह विशेषकर सेज-सुख ,यौन-क्रीड़ा आदि के विषय मे स्पष्ट संकेत देता है.
बारहवा भाव,कुंडली के सप्तम भाव से छ्ट्वा होता है ,और इस प्रकार वह जातक [स्त्री और पुरुष]के वैवाहिक जीवन के प्रतिद्वंदियो या शत्रुओं का संकेतक होता है,स्त्री के जीवन मे सौतन की समस्या लाने वाले कुछ महत्वपूर्ण ज्योतिषीय दुर्योग निम्न प्रकार है….
1 – यदि लग्न ,चंद्र लग्न और मंगल लग्न से पड़ने वाले सातवे घर अशुभ ग्रहो की उनमे उपस्थिति या उन पर दृष्टि द्वारा दुष्प्रभावित हो और विशेषकर राहु उनमे से किसी                                                                         

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Saturday 23 August 2014

naree aur vastu

                                                                        नारी और वास्तु 

वास्तु शास्त्र मे मकान मे नारी या गृहणी का अहम स्थान है ,बिना नारी के मकान की उपयोगिता नही ,और बगैर वास्तु के मकान शमशान या मरघट मे तब्दील हो जाता है ,इस लेख मे वास्तु और नारी के बीच संबंधो वा संतुलन से पैदा होने वाली उपयोगी उर्जा पर ज़ोर दिया गया है ,अगर घर की स्त्रियाँ वास्तु सम्मत तरीके से कार्य व्यवहार करे ,तो उनका जीवन स्वास्थ्य  पूर्ण वा ऊर्जामयी होगा ,ऐसी स्त्रियाँ जीवन मे काफ़ी तरक्की करती है ,और रोग मुक्त उल्लास पूर्ण जिंदगी व्यतीत करती है ,
गृहणी का जयदातर समय घर मे रसोई मे या घर के साफ-सफाई के कार्यो मे व्यतीत होता है ,जैसे किचन को ही ले लें ,वास्तु मे बताया गया है की खाना बनाते समय गृहणी का चेहरा किस दिशा मे होना चाहिए ,किचन का सिन्क वा चूल्हा कहाँ होना चाहिए ,किचन का दरवाजा किस दिशा मे होना चाहिए ,किचन के भारी सामानो को किस दिशा मे रखना चाहिए ,किचन मे कौन-कौन सी वस्तुओ को रखना चाहिए आदि ढेर सारी बाते स्त्रियों के स्वास्थ्य वा रिश्तों से जुड़ी है ,अगर स्त्रियाँ वास्तु सम्मत तरीके से कार्य करे , तो उनका जीवन काफ़ी सुख पूर्ण वायतीत होगा ,आइए,वास्तु सम्मत वा वास्तु विरुद्ध कार्य व्यवहार करने वाली स्त्रियों पर वास्तु के प्रभाव ,दुष्प्रभाव व स्वास्थ्य पर एक नज़र डालते है,
1 –आजकल हर उम्र की स्त्रियों का स्वस्थ 4-5 दसक पहले की स्त्रियों की तुलना मे ज़यादा खराब रहने लगा है ,रहन सहन, ख़ान पान ,व्यवहार आदि हर प्रकार की सावधानिया बरतने के बाद भी महिलाओ मे रोग बढ़ते ही जा रहे है ,कारण क्या है/अगर ........................................................................

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Saturday 9 August 2014

Rakshabandan ka muhurta 2014


रक्षाबन्धन एक हिन्दू त्यौहार है जो प्रतिवर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। रक्षाबन्धन

 में राखी या रक्षासूत्र का सबसे अधिक महत्व है। राखी कच्चे सूत जैसे सस्ती वस्तु से लेकर रंगीन कलावे, रेशमी 

 धागे, तथा सोने या चाँदी जैसी मँहगी वस्तु तक की हो सकती है। राखी सामान्यतः बहनें भाई को ही बाँधती हैं 

परन्तु ब्राह्मणों, गुरुओं और परिवार में छोटी लड़कियों द्वारा सम्मानित सम्बन्धियों (जैसे पुत्री द्वारा पिता को) भी 

बाँधी जाती है।

रक्षाबन्धन का मुहूर्त 2014



श्रावण पूर्णिमा रविवार को दोपहर १: २० तक भद्रा है. इसके बाद पूरे दिन 

रक्षा बांधने का मुहूर्त है.

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ganesh dev ki peeth

https://youtu.be/HniBLBX_8_M