Tuesday 30 September 2014

bathroom aur shouchalay

बाथरूम और शौचालय


बाथ रूम हमारे घर का सबसे महत्वपूर्ण कमरा होता है. लेकिन अक्सर देखा जाता है की लोग बाथरूम को कही भी बनवा देते हैं . जोवस्तु के नियम के विरुद्ध होता है. मैने स्वयं कई लोगो के घर के वास्तु निरीक्षण मे बाथरूम को सीढ़ी के नीचे ,मेन गेट के सामने, किचन के सामने यहाँ तक की पूजा स्थान के सामने भी पाया है. बाथरूम ग़लत स्थिति मे होने पर आदमी को कंगाल तक बना देता है.
छोटा बाथरूम ग़रीबी का वातावरण बनाता है. वही एक विस्तृत बाथरूम वैभव और संपन्नता को दिखता है
बाथरूम अगर ज़्यादा छोटा हो तो दर्पण लगा कर बड़ा दिखाया जा सकता है. और शुद्ध ऊर्जा का प्रवाह बढ़ाया जा सकता है.
बाथरूम को सुंदर और आकर्षक बनाना चाहिए. खिड़की ज़रूर होनी चाहिए. जिस से नकारात्मक ऊर्जा निकल जाए .
घर के बीचो बीच का बाथरूम पूरे घर मे नकारात्मक ऊर्जा...........................................................................

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Wednesday 24 September 2014

Maa DURGA ka sahi chitra


मा दुर्गा का सही चित्र




हर जगह माता दुर्गा की चीते पर बैठी हुई तस्वीर ही मिलती है. यही चित्र पूरे बाजार मे भरा पड़ा है . जो पूरी तरह से ग़लत है . आप ग़लत चित्र के आगे चाहे जितनी पूजा कर लो या सप्तशती का पाठ कर लो कुछ भी फल नही मिलने वाला है. कौन सा चित्र खरीदें इसके लिए बता रहा हूँ.
मा दुर्गा का अवतार महिषासुर नामक राक्षस का वध करने के लिए हुआ था .
चित्र मे मा दुर्गा शेर [लायन] पर बैठी हुई चीते [टाइगर] पर नही. मा तलवार लेकर महिषासुर का गला काटने जा रही हो.

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मा दुर्गा का सही चित्र






Tuesday 23 September 2014

navratri vishesh

                                   नवरात्रि दुर्गा शप्तशती का पाठ का क्रम

नवरात्रि मे बहुत से लोग माता दुर्गा की उपासना करते है एवं दुर्गा शप्तशती का पाठ करते हैं.दुर्गा शप्तशती का पाठ 13 अध्याय का होता है जिसे लोग 7 या 8 दिन मे पूर्ण करते हैं कुछ लोग अष्टमी को हवन करते है और लोग नवमी को लेकिन 7 या 8 दिन मे दुर्गा शप्तशती के पाठ का क्रम अलग –अलग होता है . आज यहा आपको दुर्गा शप्तशती के 7 दिन एवं 8 दिन मे पूर्ण करने का सही क्रम दिया जा रहा है जिससे आप उपासना कर के भगवती दुर्गा की असीम ............................................                                          

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Sunday 21 September 2014

Navratri 2014 [ SHARDIYA ]

नवरात्रि विशेष 


25/09/2014 से शारदीय नवरात्र प्रारंभ हो रही है. हर जगह नवरात्रि से संबंधित पूजन सामग्री की दुकाने सजने वाली हैं . लोग माता की पूजा के लिए प्रसाद और माता का चित्र , मूर्ति ख़रीदेंगे हैं. लेकिन हर जगह माता दुर्गा की चीते पर बैठी हुई तस्वीर ही मिलती है. यही चित्र पूरे बाजार मे भरा पड़ा है . जो पूरी तरह से ग़लत है . आप ग़लत चित्र के आगे चाहे जितनी पूजा कर लो या सप्तशती का पाठ कर लो कुछ भी फल नही मिलने वाला है. कौन सा चित्र खरीदें इसके लिए बता रहा हूँ.
मा दुर्गा का अवतार महिषासुर नामक राक्षस का वध करने के लिए हुआ था .
चित्र मे मा दुर्गा............................................................................................................................................................ 

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Thursday 18 September 2014

moolank do ' 2 '


मूलांक दो 2 का भविष्य कथन


जो व्यक्ति अँग्रेज़ी माह के 2.11.20.29 तारीख को पैदा होते है उनका मूलांक 2 होता है .इसका स्वामी चंद्र होता है .सूर्य चंद्रमा मित्र है .इसलिए 2 अंक वृहद अंक की श्रेणी मे आता है.इसलिए 2 अंक वाले व्यक्तियों को 1 अंक भी शुभ बताया गया है.
चंद्र एक सुंदर शांत और शीतल ग्रह है . मूलांक 2 के व्यक्ति शारीरिक शक्ति कमजोर होती है.लेकिन दीमाग बहुत तेज होता है .
ये सौंदर्य प्रेमी सुंदर शांत चंचल कल्पना शक्ति वाले होते है. लेकिन इनमे वैचारिक मजबूती की कमी होती है.ये काम तो बड़े उत्साह से शुरू करते है .लेकिन बिना समाप्त किए
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Wednesday 17 September 2014

Naadi [ नाड़ी ]

नाड़ी



शारीरिक परेशानी रोग ,अशांति ,उत्तेजना,आदि का प्रभाव एक नाड़ी होने से बढ़ जाता है . जैसे कफ रोगी की कफ कारक वस्तु से कफ पीड़ा बढ़ जाती है ठीक वैसे नाड़ी से पति-पत्नी की चैतन्यता ,शून्यता ,प्रश्न्ञता,सुख –दुख मे वृद्धि या हानि का योग बनता है इसलिए नाड़ी दोष की उपेक्षा करना भयंकर परिणाम देता है . नाड़ी एक होना ब्राह्मण वर्न केलिए प्रबल दोष है ,विवाह वर्जित है अन्य वर्णो केलिए यह दोष परिहार्य है.
अश्विनी से लेकर 27सेलेकर नक्षत्रो के 9-9नक्षत्रो के 3 भाग करने पर .................................................................................

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moolank ek ' 1 ' ka bhavishya fal

                                                         मूलांक एक का भविष्य फल

जिन लोगो का जन्म 1 , 10 ,19 या 28 तारीख को होता है उनका मूलांक एक होता है.मूलांक एक वृहद अंक की श्रेणी मे आता है इसका स्वामी सूर्य होता है .मूलांक एक का प्रतिनिधि ग्रह सूर्य होने के कारण ऐसे व्यक्ति प्रबल महत्वाकांक्षी,स्वाभिमानी ,एवम् मजबूत इक्षा शक्ति वाले होते है .
मूलांक एक की चारित्रिक विशेषताएँ
आप लोगो की  सहन शक्ति उत्तम कोटि की होती है जीवन मे आपको भयंकर उथल-पुथल देखनी पड़ती है . नेतृत्व करने की .....................................................................................................                                  for more detail please click this link   http://trinetraastro.com/ 
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Friday 12 September 2014

Feng shui dwara apartment flat ka chayan

                                                फेंग शुई द्वारा अपार्टमेंट फ्लैट का चयन 


जब आप रहने के लिए किसी अपार्टमेंट  का चुनाव करे तो सबसे पहले यह देखे की अपार्टमेंट किस स्थान पर बना हुआ है .  हमारे भारतीय वास्तु से फेंगशुई  वास्तु मे काफ़ी अंतर है .

आप देखे की अपार्टमेंट भू खंड पर अकेला है या उसके आस –पास अन्य अपार्टमेंट भी हैं,क्या उनकी उचाई समान हैं या कम या अधिक . अधिक ऊँचे अपार्टमेंट आपके द्वारा चुने गये अपार्टमेंट के लिए अशुभ होते हैं .

जो अपार्टमेंट किसी जगह पर अकेला खड़ा होता है वह भी शुभ नही होता ,क्योकि उसके पास से चलती वायु अपार्टमेंट मे प्रवेश करने वाली शुभ उर्जा ची को अपने साथ उड़ा कर ले जाती है.

अँग्रेज़ी का अक्षर एल,पी,जी  आकर के अपार्टमेंट फेंगशुई की  के अनुसार ......................................................

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Thursday 11 September 2014

Pati - Patni sambandh


                                                               पति – पत्नी संबंध

विवाह से 4 दिन पूर्व  साबुत हल्दी की 7 गाँठ ,पीतल के 3 सिक्के ,तोड़ा सा केसर ,गुड और चने दाल को पीले कपड़े मे बाँध कर कन्या अपने ससुराल की दिशा मे उछाल दे .इस टोटके द्वारा कन्या को अपने पति और ससुराल का हमेशा प्यार मिलेगा.

पति से मन मोटॉव दूर करने के लिए 7 गोमती चक्र ,7 लघु नारियल, 7मोती शंख और पीला वस्त्र लाए .फिर सभी सामग्री को पति के उपर से उतार कर जलती हुई होलिका मे फेक दे ,फिर पीछे देखे बिना घर आ जाए .

यदि कभी किसी स्त्री को दान करने की इच्छा हो तो दान सामग्री मे लाल सिंदूर के साथ इत्र की शीशी , चने की दाल तथा केसर अवश्य रखें . इस प्रयोग से सुहाग की आयु मे वृद्धि होगी.

विवाहित स्त्री को अपने परिवार की कुशलता के लिए नित्य दुर्गा चालीसा के पाठ के साथ उनके 108 नाम का नित्य जाप करना चाहिए.

यदि किसी कारण वश किसी सुहागिन का ससुर उससे नाराज़ रहता हो तो वह स्त्री प्रतिदिन जल मे ................ for more detail please click this link http://trinetraastro.com/
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Wednesday 3 September 2014

Motape ka jyotishiya karan

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Santaan sambandhit samasya ka jyotishya karan

         
                                       मातृत्व सुख, समस्याएँ और  निदान
स्त्री  जीवन की सार्थकता मातृत्व मे ही देखी गयी है.विवाह संस्था का मुख्य प्रायोजन भी यही है की स्त्री,पुरुष संतान को जन्म देकर सृष्टि की रचना मे अपना योगदान कर ,पूर्वजों ऋण से मुक्त  हो जाए.
जातक परिजातके अनुसार ,संतान उत्पत्ति स्त्री के जीवन को सार्थक बनाकर उसका भग्योदय करती है. अतः नवम भाव को भी संतान भाव के रूप मे माना जाना चाहिए .नवमेश की कुंडली मे स्थिति व अन्य ग्रहों के साथ उसके संबंधों पर भी विचार किया जाना चाहिए.
ऋषिपराशर के अनुसार लग्न और चंद्र लग्न से नवम भावों मे से जो बलशाली हो ,वही भाव  संतानोत्पत्ति के लिए कारक भाव माना जाना चाहिए .दूसरी ओर जैमिनी ऋषिने स्त्री के कुंडली मे संतान के संकेत के लिए सप्तम भाव के अध्ययन की भी आवश्यकता बताई है.

व्यस्क और स्वस्थ स्त्री मे उसके रजस्वला होने से लेकर रजोनिव्रित्ति  तक का काल एक कामचक्र 

द्वारा चक्र का एक चरण अंड निर्माण व प्रवाह का और दूसरा चक्र मासिक धर्म का एक होता है,जो 

बारी-बारी से चलते रहते है.ज्योतिर्विदो के अनुसार यह कामचक्र मंगल व चंद्र के बीच                                                                                                                                                                                                            for more detail please click this link http://trinetraastro.com/
  
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maa na ban paane ka jyotishiya karan

                                                        मातृत्व सुख, समस्याएँ और  निदान
स्त्री  जीवन की सार्थकता मातृत्व मे ही देखी गयी है.विवाह संस्था का मुख्य प्रायोजन भी यही है की स्त्री,पुरुष संतान को जन्म देकर सृष्टि की रचना मे अपना योगदान कर ,पूर्वजों ऋण से मुक्त  हो जाए.
जातक परिजातके अनुसार ,संतान उत्पत्ति स्त्री के जीवन को सार्थक बनाकर उसका भग्योदय करती है. अतः नवम भाव को भी संतान भाव के रूप मे माना जाना चाहिए .नवमेश की कुंडली मे स्थिति व अन्य ग्रहों के साथ उसके संबंधों पर भी विचार किया जाना चाहिए.
ऋषिपराशर के अनुसार लग्न और चंद्र लग्न से नवम भावों मे से जो बलशाली हो ,वही भाव  संतानोत्पत्ति के लिए कारक भाव माना जाना चाहिए .दूसरी ओर जैमिनी ऋषिने स्त्री के कुंडली मे संतान के संकेत के लिए सप्तम भाव के अध्ययन की भी आवश्यकता बताई है.
व्यस्क और स्वस्थ स्त्री मे उसके रजस्वला होने से लेकर रजोनिव्रित्ति  तक का काल एक कामचक्र द्वारा चक्र का एक चरण अंड निर्माण व प्रवाह का और दूसरा चक्र मासिक धर्म का एक होता है,जो बारी-बारी से चलते रहते है.ज्योतिर्विदो के अनुसार यह कामचक्र मंगल व चंद्र के बीच चलने वाली पारस्परिक प्रक्रिया होती है.पुरानी कोशिकाओं को तोड़कर मासिक धर्म स्राव कारण  मंगल का नयी कोशिकाओं का निर्माण और आंड निर्माण व प्रवाह चंद्र का दायित्व होता है. इस प्रकार यह काम-चक्र मंगल व चंद्र की पारस्परिक प्रक्रिया का ही प्रतिफल होता है.चंद्रमा बारहो राशियों मे अपने भ्रमण का एक चक्र दो चरणो मे 27.32 दिन मे करता है. इसी के अनुसार स्त्री के उत्पत्ति अंगों मे काम-चक्र भी इसी के अनुसार चलते                                                                                                                                                                                                                                          for more detail please click this link  http://trinetraastro.com/
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ganesh dev ki peeth

https://youtu.be/HniBLBX_8_M