नाड़ी
शारीरिक परेशानी रोग ,अशांति ,उत्तेजना,आदि का प्रभाव एक नाड़ी होने से बढ़ जाता है . जैसे कफ रोगी की कफ कारक वस्तु से कफ पीड़ा बढ़ जाती है ठीक वैसे नाड़ी से पति-पत्नी की चैतन्यता ,शून्यता ,प्रश्न्ञता,सुख –दुख मे वृद्धि या हानि का योग बनता है इसलिए नाड़ी दोष की उपेक्षा करना भयंकर परिणाम देता है . नाड़ी एक होना ब्राह्मण वर्न केलिए प्रबल दोष है ,विवाह वर्जित है अन्य वर्णो केलिए यह दोष परिहार्य है.
अश्विनी से लेकर 27सेलेकर नक्षत्रो के 9-9नक्षत्रो के 3 भाग करने पर .................................................................................
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